तू क्या जाने ऐ व्यक्ति , इस संसार में सब कुछ तृष्णा है। तू जो देख, सुन सकता है, वही तो कृष्णा है।
इधर उधर फिरता दिन रात, दुख देती हर एक बात। चाहे हो जन्म ये सात।
सुख दुख तो बस तृष्णा है, तू जिधर देखे वही कृष्णा है।
ईश्वर का ले नाम सदा , जिस ईश्वर को तो पूजे।
ईश्वर तो एक है रूप उसके अनेक , देखना आए तो देख ले रूप तेरा तृष्णा है।
तू जिसे पूजे वही कृष्णा है।
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